भारतवर्ष के साथ ही पूरी दुनिया मे आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है।वर्तमान जीवनशैली को देखते हुए पर्यावरण को बचाना जरूरी हो गया है,हर साल विश्व मे 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।जितना योगदान प्रकृति ने मनुष्य को आगे बढ़ाने में दिया है,काश मनुष्य भी प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदरियाँ निभा पाता।
वर्तमान समय मे होने वाले प्रदूषण से बहुत समस्याएं बढ़ी है,पर्यावरण प्रदूषण से निजात पाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए तमाम कोशिशें की है,परन्तु ये कोशिशें भी प्रदूषण के आगे धड़ाम होती नजर आती है।
पर्यावरण प्रदूषण ने मानव सभ्यता की तमाम गतिविधियों और विकास पर जो असर पिछले तीन दशकों में डाला है, उसका असर कितने दशकों तक बना रहेगा,यह कहना मुश्किल है।
हर साल गर्मी आते ही जंगल आग से धधकने लगते है,इससे पर्यावरण को हर साल नुकसान होता है, इसी प्रकार नदी में चलने वाले वाहन के अपशिष्टों एवं उनके ऱासायनिक रिसाव आदि का जल में मिलकर नदियों को दूषित करते है,सरकार द्वारा समय-समय पर नदियां साफ करने का अभियान चलाया है,इसके बावजूद भी नदियों के वही हाल है।
पर्यावरण दिवस मनाने की नींव 1972 में पड़ी, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहला पर्यावरण दिवस मनाया है और हर साल5 जून को मनाने का एलान किया था,और यह जरूरी भी था,पर अब सवाल उठता है कि क्या हर व्यक्ति इस दिन अपनी जिम्मेदारी निभाता है?
प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम इस वर्ष "भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता" है।इस थीम का फोकस 'हमारी भूमि' नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर केंद्रित है।
विश्व पर्यावरण दिवस हमें पृथ्वी को संजोए रखने व इसे पर्यावरण प्रदूषण से बचाने के लिए प्रेरित करता है।